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Wednesday 22 January 2014

कोएक्सिअल केबल

कोएक्सिअल केबल (Coaxial Cable)- कोएक्सिअल केबल एक गोल आकार की केबल होती है जिसमें एक मुख्य चालक तार होता है जिसे इनर कंडक्टर कहा जाता है जो एक ठोस प्लास्टिक के मोटे इंसुलेशन से ढकी होती है इसके ऊपर फोइल होती है और उस पर धातु के तारो कि जाली लिपटी होती है जिसे आउटर कंडक्टर कहा जाता है और सबसे ऊपर प्लास्टिक का पाइप होता है जो इन सभी को सुरक्षा प्रदान करता है ।
  कोएक्सिअल केबल का प्रयोग अधिकतर केबल टीवी में होता है इसका प्रयोग कंप्यूटर नेटवर्क में भी किया जाता है लेकिन वर्त्तमान में इसका प्रयोग कंप्यूटर नेटवर्क में बहुत ही कम हो गया है ।


कोएक्सिअल केबल के प्रकार (Types of coaxial cable)-कंप्यूटर नेटवर्क में प्रयोग होने वाली कोएक्सिअल केबल दो प्रकार कि होती है -
१-थिन नेट (RG-58)
२-थिक नेट (RG-8 RG-11)
थिक नेट (Thick net) - यह केबल मोटी होती है और इसका इनर कंडक्टर का व्यास अधिक होता है इस केबल में प्रतिरोध कम होता है जिसके कारण  इसकी सेगमेंट डिस्टेंस 500 मीटर तक होती है ।
थिन नेट(Thin net) - यह केबल थिक नेट कि अपेक्षा कम मोटी होती है और इसके इनर कंडक्टर का व्यास कम होता है जिसके कारण इसकी सेगमेंट डिस्टेंस 185 मीटर होती है ।

                      कोएक्सिअल केबल कि डेटा ट्रान्सफर स्पीड १० mbps होती है । इस केबल का इंस्टालेशन सरल है लेकिन इसे मैनेज करना कठिन है मोटे प्लास्टिक आवरण के कारण इस पर बाहरी चुम्बकीय क्षेत्रों का प्रभाव कम पड़ता है
     कोएक्सिअल केबल के साथ BNC (Bayone Neill Concelman) कनेक्टर का प्रयोग किया जाता है जो कई प्रकार के होते है जैसे T-connector(टी कनेक्टर ) ,barrel connector(बैरल कनेक्टर ),terminator(टर्मिनेटर) ।
इस केबल का प्रयोग बस टोपोलॉजी में किया जाता था । कंप्यूटर में इसे जोड़ने के लिए BNC टाइप लैन कार्ड लगाया जाता था ।



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