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Thursday 23 January 2014

फाइबर ऑप्टिक केबल (Fiber Optic Cable)

फाइबर ऑप्टिक केबल(fiber optic cable) -फाइबर ऑप्टिक केबल अन्य सभी केबल से महंगी है और इसकी डेटा ट्रान्सफर स्पीड भी बाकी केबल्स से अधिक होती है । इस केबल में डेटा का ट्रांसमिशन् विद्युत (इलेक्ट्रिक करंट ) के रूप में न होकर प्रकाश के रूप में होता है चूँकि प्रकाश कि गति बहुत अधिक होती है इसी कारण इस केबल कि स्पीड सबसे अधिक होती है इस केबल में  कंडक्टर के रूप में ग्लास (कांच) अथवा फाइबर के महीन रेशों का प्रयोग  किया जाता है  इस केबल में प्रकाश अपवर्तन के नियम पर गति करता है । आजकल इसका प्रयोग वैन नेटवर्क में अधिक किया जा रहा है । इसका इंस्टालेशन कठिन होता है और इसे मैनेज भी आसानी से नहीं किया जा सकता इस कारण अभी लैन नेटवर्क में इसका प्रयोग अधिक नहीं होता है ।

फाइबर ऑप्टिक केबल 

फाइबर ऑप्टिक केबल के प्रकार (types of fiber optic cable) - फाइबर ऑप्टिक केबल को स्ट्रेंथ और सिग्नल मोड के आधार पर बांटा जा सकता है -
स्ट्रेंथ के आधार पर (according to strength)- 
1 -लूज कॉन्फ़िगरेशन
2 -टाइट कॉन्फ़िगरेशन
सिग्नल मोड के आधार पर (according to signal mode) -
1 -सिंगल मोड
2 -मल्टीमोड
लूज कॉन्फ़िगरेशन (loose configuration) -लूज कॉन्फिग्रेशन फाइबर ऑप्टिक केबल में कांच या फाइबर कि कोर के चारों ओर एक लिक्विड जेल(gel) भरा हुआ होता है ।
टाइट कॉन्फिग्रेशन (tight configuration)-टाइट कॉन्फ़िगरेशन केबल में कांच या फाइबर कि कोर के चारो और स्ट्रेंथ वायर्स का प्रयोग किया जाता है जो इसे मुड़ने व टूटने से बचाती है । यह केबल स्ट्रेंथ वायर्स के कारण भारी होती है ।
सिंगल मोड (single mode)-सिंगल मोड केबल में केवल एक ही लाइट पाथ होता है जिसके कारण इसमें एक टाइम पर केवल एक प्रकार का सिग्नल ही फ्लो हो सकता है लेकिन यह केबल बहुत अधिक दूरी तक डेटा फ्लो कर सकती है ।
मल्टीमोड (multi mode)-मल्टीमोड केबल में एक से अधिक लाइट पाथ होते है जिस कारण इसमें एक समय पर एक से अधिक सिग्नल फ्लो हो सकते है ये लाइट सिग्नल्स अलग अलग एंगल्स (कोण) पर फ्लो किये जाते है ताकि वे आपस में मिक्स न हो । और इसी कारण यह केबल सिग्नल्स को सिंगल मोड कि अपेक्षा कम दूरी तक ले जा पति है ।
सिंगल एंड मल्टीमोड केबल 

लूज एंड टाइट केबल्स 


                       फाइबर ऑप्टिक केबल पर बाहरी चुम्बकीय क्षेत्रों का प्रभाव नहीं पड़ता है । फाइबर ऑप्टिक केबल कि स्पीड 100 Mbps से 10 Gbps या उससे अधिक हो सकती है । इसकी सेगमेंट डिस्टेंस 2 से 25 किलोमीटर तक हो सकती है । फाइबर ऑप्टिक केबल में डेटा एक दिशा में गति करता है इस कारण यह केबल पेयर(जोड़े) में प्रयोग कि जाती है । एक से सिग्नल्स भेजे जाते है और दूसरे से रेसीव किये जाते हैं ।
फाइबर ऑप्टिक केबल कनेक्टर्स (Fiber optic cable connectors) - फाइबर ऑप्टिक केबल्स के साथ कई प्रकार के कनेक्टर्स का प्रयोग किया जाता है जैसे -
1 -ST कनेक्टर
2 SC कनेक्टर
3 MT-RJ कनेक्टर   आदि ।
फाइबर ऑप्टिक केबल कनेक्टर्स 

Wednesday 22 January 2014

कोएक्सिअल केबल

कोएक्सिअल केबल (Coaxial Cable)- कोएक्सिअल केबल एक गोल आकार की केबल होती है जिसमें एक मुख्य चालक तार होता है जिसे इनर कंडक्टर कहा जाता है जो एक ठोस प्लास्टिक के मोटे इंसुलेशन से ढकी होती है इसके ऊपर फोइल होती है और उस पर धातु के तारो कि जाली लिपटी होती है जिसे आउटर कंडक्टर कहा जाता है और सबसे ऊपर प्लास्टिक का पाइप होता है जो इन सभी को सुरक्षा प्रदान करता है ।
  कोएक्सिअल केबल का प्रयोग अधिकतर केबल टीवी में होता है इसका प्रयोग कंप्यूटर नेटवर्क में भी किया जाता है लेकिन वर्त्तमान में इसका प्रयोग कंप्यूटर नेटवर्क में बहुत ही कम हो गया है ।


कोएक्सिअल केबल के प्रकार (Types of coaxial cable)-कंप्यूटर नेटवर्क में प्रयोग होने वाली कोएक्सिअल केबल दो प्रकार कि होती है -
१-थिन नेट (RG-58)
२-थिक नेट (RG-8 RG-11)
थिक नेट (Thick net) - यह केबल मोटी होती है और इसका इनर कंडक्टर का व्यास अधिक होता है इस केबल में प्रतिरोध कम होता है जिसके कारण  इसकी सेगमेंट डिस्टेंस 500 मीटर तक होती है ।
थिन नेट(Thin net) - यह केबल थिक नेट कि अपेक्षा कम मोटी होती है और इसके इनर कंडक्टर का व्यास कम होता है जिसके कारण इसकी सेगमेंट डिस्टेंस 185 मीटर होती है ।

                      कोएक्सिअल केबल कि डेटा ट्रान्सफर स्पीड १० mbps होती है । इस केबल का इंस्टालेशन सरल है लेकिन इसे मैनेज करना कठिन है मोटे प्लास्टिक आवरण के कारण इस पर बाहरी चुम्बकीय क्षेत्रों का प्रभाव कम पड़ता है
     कोएक्सिअल केबल के साथ BNC (Bayone Neill Concelman) कनेक्टर का प्रयोग किया जाता है जो कई प्रकार के होते है जैसे T-connector(टी कनेक्टर ) ,barrel connector(बैरल कनेक्टर ),terminator(टर्मिनेटर) ।
इस केबल का प्रयोग बस टोपोलॉजी में किया जाता था । कंप्यूटर में इसे जोड़ने के लिए BNC टाइप लैन कार्ड लगाया जाता था ।



Friday 20 December 2013

ट्विस्टेड पेयर केबल


ट्विस्टेड पेयर केबल (Twisted pair cable)

वर्तमान समय में कंप्यूटर नेटवर्किंग में लैन नेटवर्क बनाने के लिए सबसे अधिक ट्विस्टेड पेयर केबल का ही प्रयोग हो रहा है । ट्विस्टेड पेयर केबल में कॉपर (तांबा) के तारो का प्रयोग किया जाता है क्योंकि कॉपर इलेक्ट्रिसिटी का अच्छा कंडक्टर(चालक) होता । ये तार इंसुलेटेड होते है अर्थात इन पर प्लास्टिक कि कोटिंग होती है ये वायर्स आपस में ट्विस्ट (लिपटे) हुए होते हैं । इनके आपस में लिपटे होने के कारन ये सिग्नल्स को और तेज़ी से ट्रांसमिट करते हैं । ट्विस्टेड पेयर केबल दो प्रकार कि होती हैं -

१-यू टी पी (अंशील्डेड ट्विस्टेड पेयर) (Unshielded Twisted Pair)

२-एस टी पी (शीलडेड ट्विस्टेड पेयर)(Shielded Twisted Pair)

यू टी पी (UTP) (अंशील्डेड ट्विस्टेड पेयर)- इस केबल में तारो कि संख्या 8 होती है जो दो दो के जोड़े                                                                                में आपस में लिपटे रहते है अर्थात इस केबल में तारो के 4 पेयर होते हैं (1 पेयर = 2 तार) । ये सभी तार अलग अलग रंगो के होते है (अर्थात इन पर चढ़ी हुई प्लास्टिक कोटिंग का रंग ) ये रंग नेटवर्क केबलिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ये निम्न हैं-
१- हरा(green)
२- हरा/सफ़ेद (green/white)(तार पर हरे रंग की पट्टी होती है )
३- नीला (blue)
४- नीला/सफ़ेद(blue/white) (तार पर नीले रंग की पट्टी होती है )
५- नारंगी (orange)
६- नारंगी/सफ़ेद (orange/white)(तार पर नारंगी रंग की पट्टी होती है )
७- भूरा (brown)
८- भूरा/सफ़ेद (brown/white)(तार पर भूरे रंग की पट्टी होती है )

यू टी पी केबल में तारो के पेयर पर कोई एक्स्ट्रा शील्डिंग नहीं होती है जिसके कारण ये बाहरी चुम्बकीय छेत्रों से जल्दी प्रभावित हो जाती है । सभी पेयर एक प्लास्टिक कि पाइप में होते है जिसे प्लास्टिक सीथ(आवरण) भी कहते हैं । यू टी पी केबल को कंप्यूटर या अन्य नेटवर्किंग डिवाइसेस से जोड़ने के लिए "आर जे 45"(RJ-45) कनेक्टर(RJ=Registered jack) का प्रयोग किया जाता है। 
RJ-45 Connector

डेटा ट्रान्सफर स्पीड के आधार पर यू टी पी केबल को कई कैटेगरी में बांटा गया है जो निम्न हैं-

  • कैट -1 (टेलीफोन वॉइस )
  • कैट -2 ( ट्रान्सफर स्पीड 4 mbps)
  • कैट -3  ( ट्रान्सफर स्पीड 10 mbps) 
  • कैट -4  ( ट्रान्सफर स्पीड 16 mbps) 
  • कैट -5  ( ट्रान्सफर स्पीड 100 mbps) 
  • कैट -5e  ( ट्रान्सफर स्पीड 1000  mbps) 
  • कैट -6  ( ट्रान्सफर स्पीड 10 gbps ) 
यहाँ कैट = cat = category और mbps = मेगा बिट्स पर सेकण्ड (mega bits per second) तथा gbps = गीगाबिट्स पर सेकण्ड (giga bits per second) है ।  इसके अलावा एक दो केटेगरी और है किन्तु सबसे अधिक प्रयोग कैट 5, 5e तथा कैट 6 का किया जाता है । केबल्स की स्पीड अधिकतम दर्शायी गयी है गयी है किन्तु ये इससे कम स्पीड पर भी कार्य कर सकती हैं ।
अलग अलग केटेगरी में स्पीड में अंतर प्रति फुट ट्विस्टों (लपेटों)कि संख्या के कारण  होता है ।
यू  टी पी केबल की सेगमेंट डिस्टेंस 100 मीटर होती है अर्थात दो डिवाइसेस या कम्प्यूटर्स के बीच हम अधिकतम 100 मीटर लम्बी केबल का प्रयोग कर सकते हैं जो अच्छी तरह से काम करेगी । 
यू टी पी केबल (UTP)

यू टी पी केबल सामने का द्रश्य 


एस टी पी (STP) (शीलडेड ट्विस्टेड पेयर)-ये केबल भी यू  टी पी केबल कि तरह ही होती है किन्तु                                                                                   इस केबल में तारों के जोड़ो (पेयर) पर फोइल कि एक्स्ट्रा शील्डिंग होती है जो इस केबल को बाहरी चुम्बकीय छेत्रों से बचाती है जिसके कारण ये बाहरी चुम्बकीय छेत्रों से जल्दी प्रभावित नहीं होती है । बाहरी चुम्बकीय छेत्र  डेटा के ट्रांसमिशन में अवरोध उत्पन्न करते हैं जैसे बड़ी मशीनो या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय छेत्र(Magnetic Field) । एस टी पी केबल यू टी पी केबल कि अपेक्छा अधिक महंगी होती है । एक्स्ट्रा शील्डिंग की वजह से यह केबल कुछ भारी होती है । एस टी पी केबल की सेगमेंट डिस्टेंस 100 मीटर होती है । 
एस टी पी केबल (STP)
एस टी पी सबले सामने का द्रश्य 
शीलडेड एस टी पी केबल 


Monday 16 December 2013

ट्रांसमिशन मीडिया के प्रकार (Types of Transmission Media)

ट्रांसमिशन मीडिया के प्रकार (Types of Transmission Media)

ट्रांसमिशन मीडिया दो प्रकार के होते हैं
१-वायर्ड (केबल) टांसमिशन मीडिया
२-वायरलेस ट्रांसमिशन मीडिया

केबल मीडिया - इसके अंतर्गत धातु या फाइबर से बने हुए तार आते हैं जो इलेक्ट्रिक सिग्नल्स  या लाइट सिग्नल्स के रूप में डेटा या इनफार्मेशन को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में पहुचाते हैं जैसे-
१-ट्विस्टेड पेयर केबल
२-कोएक्सिअल केबल
३-फाइबर ऑप्टिक केबल
ट्विस्टेड पेयर केबल 
कोएक्सिअल केबल 
फाइबर ऑप्टिक केबल 



वायरलेस मीडिया - इस प्रकार के ट्रांसमिशन मीडिया में डेटा तथा इनफार्मेशन तरंगो के रूप में एक डिवाइस से दूसरी डिवाइस में पहुचता है कुछ वायरलेस मिडिया निम्नलिखित हैं -
१-ब्लूटूथ
२-वाई-फाई
३-इन्फ्रारेड       आदि।
ब्लूटूथ डिवाइस 

वाई फाई डिवाइस 





Thursday 23 February 2012

ट्रांसमिशन मीडिया (Transmission Media)

ट्रांसमिशन मीडिया - ट्रांसमिशन मीडिया वह भौतिक माध्यम है जिसके द्वारा एक कंप्यूटर से भेजे जाने वाली इन्फार्मेसन  और सिग्नल्स नेटवर्क में जुड़े हुए दूसरे कंप्यूटर तक पंहुचती है | जिस प्रकार हमारी भाषा हमारे विचारो को अन्य के पास पंहुचाती है उसी प्रकार ट्रांसमिशन मीडिया एक कंप्यूटर के सिग्नल्स को दूसरे कंप्यूटर तक पहुचाता है | जैसे धातु के तार या तरंगें (वेव) |


Friday 26 August 2011

सर्विस के आधार पर नेटवर्क के प्रकार (types of network according to service)

सर्विस के आधार पर नेटवर्क दो प्रकार के होते हैं -

१- पीयर टू पीयर

२- सर्वर सेंट्रिक

पीयर टू पीयर- पीयर टू पीयर नेटवर्क एक ऐसा नेटवर्क होता है  जिसमे निश्चित रूप से न तो कोई कंप्यूटर सर्वर होता है और न ही कोई कंप्यूटर क्लाइंट  लेकिन आवश्यकता के अनुसार कोई भी कंप्यूटर सर्वर भी बन सकता है और कोई भी कंप्यूटर क्लाइंट l इसे समझने के लिए हमें सर्वर  क्लाइंट और पीयर को भी समझना पड़ेगा - 


सर्वर(server)- सर्वर उस कंप्यूटर को कहा जाता है जो नेटवर्क में अन्य कंप्यूटर को कोई डाटा इन्फार्मेसन या सर्विस प्रदान करता है l

क्लाइंट (client)- क्लाइंट वह कंप्यूटर होता है जो सर्वर कंप्यूटर द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का प्रयोग करता है l

पीयर(peer)- पीयर वह कंप्यूटर होता है न तो सर्वर होता है और न क्लाइंट पर जरुरत के समय यह सर्वर की तरह भी कार्य कर सकता है और क्लाइंट की तरह भी l

सर्वर सेंट्रिक- सर्वर सेंट्रिक नेटवर्क वह नेटवर्क होता है जिसमे एक सर्वर होता है और बाकि कंप्यूटर उसके क्लाइंट होते हैं सर्वर द्वारा कई प्रकार के सेवाएँ क्लाइंट कंप्यूटर को दी जाती हैं जैसे फाइल सेवा,प्रिंट सेवा,इन्टरनेट सेवा आदि और सर्वर सिस्टम क्लाइंट सिस्टम को कण्ट्रोल और मैनेज भी करता है l

Friday 19 August 2011

नेटवर्क सर्विस के प्रकार ( types of network services)

नेटवर्क में कंप्यूटर के विभिन्न रिसोर्सेस जैसे हार्ड-डिस्क ,सीडी-ड्राइव,प्रिंटर आदि को शेयर करने के लिए नेटवर्क सर्विस ही जिम्मेदार होतीं हैं
        नेटवर्क में प्रयोग होने वाली प्रमुख सर्विसेस निम्न हैं-

१- फाइल सर्विस

२- प्रिंट सर्विस

३- मेसेज सर्विस

४- डाटाबेस सर्विस

५- एप्लीकेशन सर्विस

फाइल सर्विस- नेटवर्क में किसी फाइल को एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर पर ट्रान्सफर ,मूव या कॉपी करने के लिए फाइल सर्विस प्रयोग में आती है l फाइल सर्विस ही नेटवर्क में बैकप की सुविधा प्रदान करती है l फाइल सर्विस स्टोरेज  डिवाइस को प्रभावी तरीके से प्रयोग करती है l


प्रिंट सर्विस- प्रिंट सर्विस का कार्य नेटवर्क में किसी एक कंप्यूटर पर लगे प्रिंटर को नेटवर्क  के अन्य कंप्यूटर के लिए उपलब्ध करवाना होता है l अर्थात प्रिंट सर्विस के कारण ही एक प्रिंटर का प्रयोग नेटवर्क के सभी यूजर कर पाते हैं l प्रिंट सर्विस का कार्य नेटवर्क में प्रिंटर की संख्या को कम करना होता है l इस सर्विस के कारण ही नेटवर्क में प्रिंटर को कहीं भी इस्थापित किया जा सकता है l इसकी वजह से ही प्रिंट जोब्स एक पंक्ति में रहते हैं l इसके द्वारा ही प्रिंटर को नेटवर्क में एक्सेस कण्ट्रोल व मैनेज किया जा सकता है l


मेसेज सर्विस- जैसा की हम नाम से ही समझ सकते है l की मेसेज सर्विस का कार्य एक कंप्यूटर का मेसेज दूसरे कंप्यूटर तक पहुचना होता है l इसके साथ साथ हम डाटा ऑडियो विडियो टेक्स्ट आदि भी भेज सकते हैं l एक प्रकार से मेसेज सर्विस फाइल सर्विस की तरह ही कार्य करती है l लेकिन यह डाइरेक्ट कंप्यूटर के बीच कार्य न करके यूजर अप्लिकेसन के बीच कार्य करती है l इ-मेल व वोइस-मेल इसके ही उदहारण हैं l


डाटाबेस सर्विस- यह सर्विस  नेटवर्क  में सर्वर आधारित डाटाबेस की सुविधा प्रदान करती है l अर्थात नेटवर्क में जब कोई क्लाइंट रिक्वेस्ट करता है तो उसे आवश्यक जानकारी डाटाबेस सर्वर के द्वारा प्रदान कर दी जाती है l यह सर्विस डाटा सिक्योरिटी प्रदान करती है l और इसके कारण ही डाटाबेस की लोकेसन केन्द्रित हो पति है l


एप्लीकेशन सर्विस- नेटवर्क में वे सर्विस जो नेटवर्क क्लाइंट के लिए सोफ्टवेयर चलाती हैं l एप्लीकेशन सर्विस कहलाती हैं l यह सर्विस केवल डाटा ही नहीं शेयर करती बल्कि उनकी प्रोसस्सिंग पॉवर भी शेयर करने की अनुमति प्रदान करती है l इसका सबसे अच्छा उदाहरण लैन गेमिंग है l जिसमे एक गेम को कई यूजर एक साथ खेलते हैं l

Thursday 18 August 2011

नेटवर्क सर्विस (network service)

नेटवर्क सर्विस कंप्यूटर हार्डवेयर तथा कंप्यूटर साफ्टवेयर की एक मिलीजुली योग्यता होती है l जिसे वे नेटवर्क में उपस्थित कंप्यूटर के साथ बाँट सकते हैं l इसके कारण ही नेटवर्किंग  में विभिन्न प्रकार के कार्य संभव हो पाते हैं l नेटवर्क के कंप्यूटर सर्विस लेते भी हैं और सर्विस देते भी हैं l इस आधार पर नेटवर्क में उपस्थित कंप्यूटर को दो भागों में बांटा  जाता है -

१- सर्विस प्रोवाइडर
२- सर्विस रिकुएस्टर
सर्विस प्रोवाइडर - सर्विस प्रोवाइडर वे कंप्यूटर होते है जो नेटवर्क में उपस्थित कंप्यूटर को अपनी विभिन्न सर्विसेस प्रदान करते हैं l इसे हम सर्वर भी कहते हैं l


सर्विस रिकुएस्टर- सर्विस रिकुएस्टर वे कंप्यूटर होते है l जो नेटवर्क में उपस्थित किसी और कंप्यूटर से विभिन्न प्रकार की सर्विसेस लेते हैं l इसे हम क्लाइंट भी कहते हैं l

Tuesday 9 August 2011

प्रोटोकॉल (Protocol)

प्रोटोकॉल ऐसे नियमो का समूह होता है l जिसके द्वारा यह निर्धारित होता है कि किस प्रकार एक डिवाइस या कंप्यूटर का डाटा व इन्फार्मेसन दुसरे डिवाइस या कंप्यूटर में ट्रांसमिट हो l                
 हम यह भी कह सकते है कि प्रोटोकॉल दो कंप्यूटर के बीच एक भाषा कि तरह कार्य करता है और एक कंप्यूटर के डाटा व सिग्नल्स को दुसरे कंप्यूटर को समझाता है कुछ प्रोटोकॉल निम्नलिखित हैं l
१- ऍफ़  टी पी (फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल )
२- एस एम टी पी (सिम्पल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल )
३- एच टी टी पी (हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल )
४- टी सी पी (ट्रांसमिसन कण्ट्रोल प्रोटोकॉल )
५- आइ पी (इन्टरनेट प्रोटोकॉल )
आदि l





एक कंप्यूटर नेटवर्क के लिए न्यूनतम आवश्यकताएं (minimum requirements for a computer network)

एक कंप्यूटर नेटवर्क बनाने के लिए निम्न आवश्यकतायें  होती हैं 
१- कम से कम दो कंप्यूटर जिनमे ऑपरेटिंग सिस्टम हो (नेटवर्किंग को सपोर्ट करने वाला)
२- ट्रांसमिशन मिडिया (वायर्ड या वायरलेस)
३- प्रोटोकाल 


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फाइबर ऑप्टिक केबल (Fiber Optic Cable)

फाइबर ऑप्टिक केबल(fiber optic cable) - फाइबर ऑप्टिक केबल अन्य सभी केबल से महंगी है और इसकी डेटा ट्रान्सफर स्पीड भी बाकी केबल्स से अध...